Amla Navami 2022: जानिए कार्तिक महीने नबमी तिथि को क्यों मानते हैं आंवला नवमी

आंवला नवमी (Amla Navami in Hindi) तिथि के दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं उन पर हमेशा भगबान की कृपा मिलती हे ।
मानाजाता हे इसी दी अमला पेड़ को पूजा करने से सुबह फल प्राप्त होती हे यह कभी क्षय नहीं होता । कार्तिक महीने नबमी दिन आंवला के पेड़ की पूजा करके स्वस्थ रहने की कामना की जाती है ।
आंवले के पेड़ की पूजा करने के बाद पेड़ के नीचे बैठकर आंवला प्रसाद खाना चाहिए । इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा करने से अपार सौभाग्य की प्राप्ति होती हे ।
इस अमला नवमी त्योहार को अक्षय नवमी, धात्री नवमी और कुष्मांडा नवमी भी कहा जाता है ।
शास्त्र के अनुसार यह माना जाता है कि द्वापर युग की शुरुआत आंवला नवमी के दिन से हुई थी । इस युग में, भगवान विष्णु के आठवें अवतार की बाद भगबान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था ।
इस नवमी के दिन कृष्ण वृंदावन गोकुल की गलियों को छोड़कर मथुरा के लिए रवाना हुए थे जिसके कारण इस दिन वृंदावन परिक्रमा होती है ।
अब चलिए जानते हैं इसी पूजा कबसे और क्यों सुरु हुई इसकी बारे में कुछ पौराणिक कहानी ।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक राजा प्रतिदिन डेढ़ मन आंवले का दान कर भोजन करता था इसी वजह से लोक उन्हें आंवल्या राजा कहते थे ।
लेकिन उनका परोपकार पुत्र और दुल्हन को रास नहीं आया, जब राजा के बेटे ने उसे ऐसा करने से रोका तो राजा ने रानी के साथ महल छोड़ने का फैसला (Diction) किया और दोनों मिल कर जंगल में चले गए ।
वन में मन्नत के अनुसार राजा ने सात दिन तक बिना आंवला दान किए भोजन नहीं किया । राजा की तपस्या से भगवान प्रसन्न हुए और राजा का महल या बगीचा जंगल के बीच में खड़ा हो गया ।
उसी समय, राजा के पुत्र और दुल्हन के महल को दुश्मनों ने छीन लिए थे । आखिरकार दोनों (पुत्र और बधु) को अपनी गलती का एहसास हुआ और वे राजा और रानी के पास लौट आए ।
यदि कोई भी पूजा को पीढ़ी के अनुसार किया जाए तो उसीसे सुबह फल प्राप्त होती हे ।
अमला नवमी में आप सुबह फल प्राप्त करने केलिए सूर्योदय से पहले उठें, नाहा कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजन सामग्री के साथ आंवले के पेड़ के पास अपनी एक आसन आसन लगाएं ।
अमला पेड़ की जड़ के पास सफाई करके जल और कच्चा दूध चढ़ा कर सुधि करे । पूजा सामग्री से आंवले के पेड़ की पूजा करें । तने पर कच्ची रुई या मौली लपेटें ।
निमय के अनुसार ऐसा करते हुए पेड़ की चतरूपारस आठ बार परिक्रमा करें । कहीं-कहीं पेड़ की 108 परिक्रमा का भी विधान बताया गया है । इ
सके बाद किसी योग्य पंडित या ब्राह्मण से आंवला नवमी की कथा सुनना या स्वयं इसका पाठ करना भी लाभकारी होगा ।
पूजा करने के बाद सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हुए एक अमला का पेड़ के नीचे बैठकर भोजन करे, ये करने से शुभ फल मिलती हे ऐसा पुराणों में लिखा कुआ हे ।
कोई भी पूजा को यदि सुबह मुहूर्त से नहीं किया जाए तो उसी पूजा करने की फ़ायदा नहीं, इसीलिए आंवला नवमी के दिन 02 नवंबर बुधबार को पूजा का सर्वोत्तम समय सुबह 06:50 से दोपहर 12:10 बजे तक रहेगा ।
इस शाल 2 नोवेम्बर 2022 बुधबार को Amla Navami पर्ब मनाया जाएगा। इसी समय बिधि के अनुसार पूजा करने से सुबह फल प्राप्त होती हे ।
1. आंवला नवमी के दिन सुभे नाहा कर आंवला के वृक्ष की पूजा पूजा करे ।
2. पूजा सामग्री में हल्दी, कुमकुम आदि ले कर पूजा करे उसके बाद बाद जल और कच्चा दूध वृक्ष पर जरूर अर्पित करे ।
3. पूजा करने के बाद आंवले के पेड़ की चतुरपारषे परिक्रमा करे ।
4. उसके बाद तने में कच्चा सूत या मौली आठ बार लपेटें चाहे तो 108 बार भी कर सकते हो ।
5. पूजा के बाद अमला नबमी व्रत कथा/ कहानी पढ़ी या सुनी जाती हे, ये आप खुद पढ़ सकते हो या ब्राह्मण, पंडित पढ़ते हुआ आप सुन सकते हो ।
इन शुभ मुहूर्तों में पूजा करने से सुबह मन जाता हे
ब्रह्म मुहूर्त- सुभे 04 बजकर 56 मिनिट से लेकर सुभे 05 बजकर 49 मिनिट तक
अभिजित मुहूर्त- सुभे 11 बजकर 44 मिनिट से मध्यान 12 बजकर 27 मिनिट तक
विजय मुहूर्त- मध्यान 01 बजकर 53 मिनिट से मध्यान 02 मध्यान 36 मिनिट तक
गोधूलि मुहूर्त- श्याम 05 बजकर 18 मिनिट से श्याम 05 बजकर 42 मिनिट तक
रवि योग- मध्यान 02 बजकर 54 मिनिट से नवंबर 13 सुभे 06 बजकर 42 मिनिट तक
निशिता मुहूर्त- श्याम 11 बजकर 39 मिनिट से 13 नवंबर सुभे 12 बजकर 32 मिनिट तक
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मुझे उम्मीद है की आप को आज की पोस्ट Amla Navami in hindi बहत पसंद आई होगी।