Dhanteras ka Tyahar kyun manaya jata he – क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार और जानिए उसकी पौराणिक महत्व

आप और हम सभी ने मिल कर साल भर में ऐसे बहत सारे त्यहार को मानते हे, इसमें एक पर्ब Dhanteras in Hindi ।
हर कोई तो सभी त्यहार को पालन करते हे लेकिन जादासा लोकको इसके पीछे की पौराणिक महत्व के बारे में पत्ता नहीं होती हे, केबल एक दूसरे को देख कर पर्ब पालन करके खुसीआ मनाते हे ।
आज में आपको क्यों मनाया जाता है धनतेरस का त्योहार और जानिए उसकी पौराणिक महत्व बारे में बताऊंगा जिसे जानकर आप सही प्रकिया से इसी त्यहार को मन पाओगी ।
Dhanteras का त्योहार क्यों मनाते हे ?
हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस कहा जाता हे, ये त्यौहार दीपावली के आगमन की पूर्व सूचना देती हे क्यों की धनतेरस Diwalli के ठीक एक दिन पहले आती हे ।
इस दिन नए धातु, सोना, बर्तन खरीदना शुभ माना जाता हे । इसी दिन मृत्यु के देवता यमराज और भगवान धन्वंतरि की पूजा करने का विशेष महत्व रहती हे ।
हमारे देश भारत की संस्कृति में स्वास्थ्य और शरीर को धन से ऊपर माना जाता हे क्यों की स्वाथ्य सही नहीं रहने से कमाई की कोई लाभ ही नहीं ।
यह कहावत आज भी प्रचलित व हे ‘पहला स्वस्थ उसके बाद धन’, इसलिए दीपावली में सबसे पहले धनतेरस को महत्व दिया जाता है। जो भारतीय संस्कृति के अनुसार एकदम उपयुक्त ।
पुराणों शास्त्रों में वर्णित कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कार्तिक मास कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुई थी ।
ऐसा माना जाता है कि भगवान धन्वंतरि विष्णु के अवतार हे । चिकित्सा विज्ञान के विस्तार यानि प्रचार और प्रसार के लिए भगवान विष्णु ने धन्वंतरि का अवतार लिए थे ।
धनतेरस का त्योहार भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने की खुसी में मनाया जाता हे ।
धनतेरस के दिन क्या किया जाता हे
धनतेरस के दिन अपनी क्षमता और सामर्थ्य के अनुसार किसी भी रूप में सोना,चांदी और अन्य धातुओं खरीदना शुभ मन जाता हे इसीलिए ये दिन इन दुकानो में भीड़ जमती हे ।
लोकको मानना हे इसी दिन सोना, चांदी सम्पति बढ़ती हे ।
धन प्राप्ति के लिए घर के पूजा स्थल पर धन की देबता कुबेर को दीपक दान करने के साथ मुख्य द्वार पर मृत्यु देवता यमराज को भी दीपक दान करने की परंपरा होती हे ।
Dhanteras hindi
धनतेरस पालन की पीछे पौराणिक कहानी (Dhanteras in Hindi)
शास्त्रों के मुताबिक कहानी की अनुसार कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन राक्ष्यास ने देवताओं के कार्य में बाधा डालने के कारण भगवान विष्णु ने असुरों के गुरु शुक्राचार्य की एक आंख तोड़ दी थी ।
एक किंवदंती के अनुसार, भगवान विष्णु ने राजा बलि के भय से देवताओं को मुक्त करने के लिए वामन के रूप में अवतार लिया और राजा बलि के बलिदान के स्थान पर पहुंचे ।
शुक्राचार्य ने भी भगवान विष्णु को वामन के रूप में पहचान लिया और राजा बलि से वामन के कुछ भी मांगने से इनकार करने का आग्रह किया ।
वामन ही असली भगवान विष्णु हैं जो देवताओं की मदद के लिए आपसे सब कुछ छीनने आया हे ये बात शुक्राचार्य ने बलि को कहा ।
राजा बाली ने गुरु शुक्राचार्य की ना मानने की कारन कुछ समय बाद वामन ने कमंडल से जल लेकर भगवान द्वारा मांगी गई तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया ।
बलि को दान करने से रोकने के लिए शुक्राचार्य ने लघु रूप धारण करके राजा बलि के कमंडल में प्रवेश किया जिसके द्वारा इससे कमंडल से पानी निकलने का रास्ता बंद हो गया ।
वामन भगवान शुक्राचार्य की चाल समझ गए । भगवान वामन ने कुश को अपने हाथ में इस प्रकार रखा कि शुक्राचार्य की एक आंख निकल गई । शुक्राचार्य हड़बड़ा कर कमण्डलु से बाहर आ गया ।
इसके बाद राजा बाली ने तीन पग भूमि दान करने का संकल्प लिया ।
तब भगवान वामन ने एक पैर से पूरी पृथ्वी को और दूसरे से अंतरिक्ष को मापा और तीसरा कदम उठाने के लिए कोई जगह न होने के कारण, बाली ने अपना सिर भगवान वामन के चरणों में रख दिया ।
इस प्रकार देवताओं को यज्ञ के भय से मुक्ति मिल गई और बलि ने देवताओं से जो धन-दौलत छीन ली थी, वह देवताओं को कई गुना अधिक धन प्राप्त हो गई । इस अवसर पर धनतेरस का पर्व भी मनाया जाता हे ।
Dhanteras
धनतेरस के दिन खरीदारी करने का सबसे अच्छा समय
त्रिपुष्कर योग – सुबह 06:06 से 11:31 तक खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त – 06:18:22 से 08:11 मिनट 20 सेकेंड तक खरीदारी और पूजा-अर्चना का शुभ मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:42 से दोपहर 12:26 बजे तक खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
विजय मुहूर्त – दोपहर 01:33 से 02:18 तक खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त
गोधूलि मुहूर्त – 05:05 से 05:29 तक खरीदारी के लिए शुभ समय
प्रदोष काल – 05:35:38 से 08:11 मिनट 20 सेकंड खरीदारी और पूजा के लिए एक शुभ समय माना जता हे ।
धनतेरस का मुहूर्त शाम – 06.18 बजे से 22.08.11 मिनट 20 सेकेंड तक खरीदारी के साथ-साथ पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
वृषभ काल – शुभ मुहूर्त सायंकाल 06.18 से 08.14 तक
निशिता मुहूर्त – शुभ मुहूर्त रात्रि 11:16 से 12:07 तक
दिन के चौघड़िया
लाभ का समय सुबह – 10:43 बजे से 12:04 बजे तक
अमृत का समय दोपहर – 12:04 बजे से दोपहर 01.26 बजे तक
शुभ समय दोपहर – 02:47 बजे से शाम 04:09 बजे तक
रात का चोरपहरा
लाभ का समय – 07:09 बजे से 08:48 बजे तक
शुभ समय सुबह – 10.26 बजे से 12.05 बजे तक
अमृत का समय – 12:05 से 01:43 तक
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धनतेरस के दिन पूजा करने की विधि
धनतेरस का प्रदोष काल 23 अक्टूबर 2022 की शाम 05:35 से 08:11 तक हे । वहीं, वृषभ राशि का समय शाम 06:18 से शाम 08:14 तक ।
पूजा पद्धति की बात करें तो धनतेरस के दिन सबसे पहले सुबह उठकर दिनचर्या से निवृत्त होकर धनतेरस की पूजा की तैयारी शुरू कर दें ।
पूजा की तैयारी के बाद घर के ईशान कोण में भगवान धन्वंतरि की पूजा करें। पूजा करते समय हमेशा अपना मुंह उत्तर, पूर्व या उत्तर दिशा में रखें ।
धनतेरस के दिन करें दान
धनतेरस के दिन कोई भी नई वस्तु खरीदने के साथ-साथ दान करना भी बहुत फलदायी और शुभ माना जाता हे ।
लेकिन ध्यान रहे कि इस दिन सूर्यास्त से पहले दान करना जरूरी हे उसके बाद नहीं । ऐसे में सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके पूजा करें और फिर दान की प्रक्रिया शुरू करे ।
कहते हैं धनतेरस के दिन दूध, दही, सफेद मिठाई जैसी कोई भी सफेद चीज का दान नहीं करना चाहिए । ऐसा करना अशुभ माना जाता हे, लेकिन कुछ अन्य चीजों का दान करना बहुत शुभ होता हे ।
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