रक्षया बंधन क्यों मनाया जाता हे – Why is Rakshaya Bandhan celebrated?

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हमारे भारत बर्षा में हर साल बहत सारे त्योहार माना जाता हे उनमेसे रक्षया बंधन । कोई लोककी मन में ये सबाल आती हे आखिर रक्षया बंधन क्यों मनाया जाता हे?- Why is Rakshaya Bandhan celebrated?

इस पर्ब पालन का महत्व क्या में आज आपको उसकी बारे में जानकारी देनेबाला हूँ आप ध्यान पुर्बक पढ़नेसे आपको सारि सबलो का जबाब आसानी से मिल जाएगी ।

रक्षया बंधन प्रत्येक बर्षों श्राबण की महीने पूर्णिमा तिथि में मनाया जाता हे, ये पर्ब अगले कुछ दिनों में आनेबाला जान कर सभी भाई बहन की मन में खुसी झलक देखनेको मिलती हे।

क्यों की भाई और बहेन का रिस्ता होती हे लड़ाई झगड़ा के बाद भी उसी दिन सब भूल के मौज मस्ती में ये त्योहार को मनाते हे ।

हर साल उसी दिन बहेन अपना भाई की हात में रक्षी बांध कर अपनी रक्षया केलिए बचन मांगती हे ।

रक्षया करने केलिए जो पबित्र धागा भया की हाथ में बंधा जाता हे उसीको राखी (Rakshaya Bandhan) कहा जाता हे ये कोई 2 रूपया बाला धागा या फिर 2000 रूपया का धागा हो सकती हे ।

पुरे दुनिआ की कोई देशो में भाई और बहेन की रिश्ते को सन्मान दी जाती हे जंहा संस्कृतिक खेत्र भारत में भी उन रिश्ते को सन्मान दिआ जाता हे । हमारे देश में इसका इतना महत्व हे की ये एक त्योहार की रूप में मनाया जाता हे ।

ये पर्ब एक हिन्दू त्योहार जिसे केबल भारत में नहीं बल्कि दूसरे देश में भी मनाया जाता हे भाई बहेन के प्यार की प्रतिक मानकर ।

भाई बहन की पबित्र रिस्ता केलिए मनाया जाने बाला पर्ब Rakshya Bandhan  ऐसा होतीहै जो शब्द में बयान नहीं किया जा सकता हे ।

पिछले शाल की तरह इसी साल भी श्राबण पुरनुईमा की दिन August 30 तारीख बुधबार को मनाया जाएगा ।

संस्कृतिक परबा रक्षया बंधन त्योहार की बिषय में हम सभी को जानकारी लेना बहत ही जरुरी हे।

इसीलिए मेने सच्चा क्यों ना मेरे प्यारे दोस्तों को उसकी बारे में जानकारी दिअज़ाए जिसके द्वारा सभीको इस पर्ब की बिशेषत्व के बारे में पत्ता चले और रक्षया बंधन कैसे मनाया जाता हे।

उसकी बारे में भी जानकारी मिल सके तो चलिए पहले जानते हैं रक्षया बंधन क्या हे की बारे में ।

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राक्ष्य बंधन क्या हे

रक्षया बंधन का मतलब संस्कृत भाषा की अनुसार एक ऐसा बंधन होती हे जो की दूसरे को रक्षया प्रदान करती हे ये दो शब्द “रक्षया” और “बंधन” को मिलकर होती हे जंहा पर रक्षया का अर्थ होती हे।

रक्षया करना दूसरे शब्द बंधन का अर्थ अर्थ होताहै एक धागा पर गांठ जो रक्षया प्रदान करने का सूचित करती हे ।

ये दोनों शब्द ही भाई बहेन का  प्यार प्रमाणित करती हे केबल खून के रिस्ता को ही नहीं बल्कि एक माँ की दोना भाई,बहेन का पबित्र रिस्ता को सूचित करती हे।

ये केबल धागा बांधने बाला त्योहार नहीं होती बल्कि हर समय भाइयाँ को यद् दिलाता हे अपनी बहेन की रक्षया करने केलिए ।

रक्षया बंधन क्यों मनाता हे- Why is Rakshaya Bandhan celebrated?

इसी त्योहार भाई, बहेन का प्यार को अतूट रखने केलिए पालन किया जाता हे । केबल भाई बहेन नहीं बल्कि उसीको स्त्री पुरुष भी पालन कर सकती हे जो चाहे व मान सकते हे।

जिसको इस परबा की बारे में जानकारी हे जो मरज्यादा के बारे में समझते हे व पालन कर सकते ।

एक बहन भाई की हाथ में रक्षी बांधनेसे पहले उन रक्षी की पूजा करती हे और भगबान ने पार्थना करती हे उनकी लम्बी उमर, उत्तम स्वस्थ केलिए जंहा भाई भी बादा करती हे अपनी बहेन को सभी बिपत्ति से रक्षया करने केलिए । 

भाई अपने बहेन की लम्बी उमर केलिए भगबान से पार्थना करती हे उसकी स्वस्थ हमेसा सुस्त रहे इसी पर्ब को हर कोई पालन कर सकता हे जिसके पास कोई भाई बहन नहीं व भी ।

रक्षा बंधन पालन करने की इतिहास

ये एक ऐसा त्यहार हे जो गरीब या आमिर पालन कर सकती हे लेकिन इसी परब को पालन करने की पीछे बहत सरे कहानी होती हे चलिए जानते हैं राक्ष्य बंधन संबधित रोचक कहानी के बारे में ।

राजा बलि और माता लक्ष्मी : 

बिष्नु पुराण और भगबत पुराण के अनुसार ऐसा बताया गया हे की भगबान बिष्नु और राजा बलि के बिच में एक जुद्ध हुई थी ।

उनमेसे प्रभु बिष्नु ने बलि को हराकर त्रिलोक पर अधिकार कर लिए बाद में बलि ने बिष्नु की महल में रहने की आग्रह किया और भगबान बिष्नु ने भी मन गए परन्तु माता लक्ष्मीको दोनों की मित्रता अच्छा नहीं लग रही थी ।

एक बार श्री बिष्नु के साथ माता लक्ष्मी स्वामी बिष्नु के साथ बैकुंठ जानेका निम्नय किया । जानेसे पहले लक्ष्मीजी बलि को राक्ष्य धागा बंद कर भाई बना दिया।

धागा बांधनेके बाद राजा बलि माता लक्ष्मी को बला आप मन चाहे जोभी उपहार मुझे माग सकते हो ये सुन कर लक्ष्मीजी ने भगबान बिष्नु को अपनी बचन से मुक्त करने कर दो और मुझे बिष्नु के साथ बैकुंठ जाने दो ।

ये सुन कर राजा बलि ने कहा में आपको बहन की रूप में स्वीकार की हूँ इसीलिए आपकी सभी इछा को जरूर पूरी करूँगा ।

बलि राजा ने प्रभु बिष्नु को बचन बंधन से मुक्त कर के माता लक्ष्मी के साथ बैकुंठ जाने दिया उसी दिन से ये भाई बहन की पबित्र रिस्ता को राक्ष्य बंधन परब मि अनुसार माना जाता हे ।

कृष्ण और द्रौपदी :

कोई लोक ऐसा मानते हे जब महाभारत की लड़ाई हुई थी उसे पहले श्री कृष्णा ने राजा शिशुपाल की बिरुद्ध में सुदर्शन चक्र उठाई थी जिसके द्वारन उनके हाथो में चोट लग गई।

बहत सारे खून बहाने लगा तभी द्रौपदी ने अपने पुत्र को बचाना केलिए खुद की साड़ी से एक टुकड़ा फाड् कर श्रीकृष्ण की हाथ में बांध दिया उसके बाद प्रभु श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की भबिष्य में आनेबलि हर मुसीबत में रक्षया करने की बचन दी थी ।

सम्राट Alexander और राजा पुरु :

ये कहानी सबसे पुराणी 300 BC की । सम्राट Alexander नाम की एक राजा थी जिनको दिग बिजई बोली जाती थी उनके सामने जुद्ध करने बाला ऐसा कोई भी राजा नहीं थे ।

जब सम्राट एलेग्जेंडर भारत में हमला करने केलिए आयी उसी समय भारत का राजा पुरु थी जिनको हराना Alexander केलिए दिकत हुई ये।

खबर उसकी पत्नी को पत्ता चलने के बाद अपनी स्वामी को रक्षया करने केलिए राजा पुरु के पास एक राखी भेजी थी जिससे व एलेग्जेंडर को जान से मर ना दे उसके बाद राजा पुरु ने बहन की बात मानकर Alexander पर हमला नहीं की । 

इन्द्रदेब की कहानी :

पुराण की अनुसार एक दिन असुरां की राजा बलि ने देबलोकों की ऊपर आक्रमण की जिसके द्वारा देबाताओं की राजा इन्द्रदेब को बहत नुकसान पहंची थी ।

ये सब देख कर उनकी पत्नी सच्ची को बहत दुःख लगा और अपने पति की राक्ष्य करने केलिए भगबान बिष्नु की पास गई ।

तब भगबान बिष्नु ने एक धागा देकर बोलिथे ये लेकर आपकी पति की कलाई पर बांध देना पति सच्ची ने ऐसा करने के बाद इन्द्रदेब की हाथ राजा बलि का हत्या हुई ।

इसीलिए पुराण में जुद्ध को जनसे पहले सभी सैनिक की हाथो में राखी बंधा जाता था ता की उनके सोइनिक को कोई नुकसान ना बहनचे और लड़ाई में बिजय होकर लौट सके ।

यम और यमुना की कहानी : 

एक कहानी की अनुसार मृत्यु के देबता यम राजा ने अपने बहन यमुना की पास पिछले 12 साल तक नहीं गई थी इन बातो पर बहेन को बहत दुःख पहंची थी ।

बाद में गंगा माता के परामर्श की अनुसार यम ने यमुना पास जाने की निम्नय की ।

अपने भाई आ रहीहे जानकर यमुना काफी खुसी हुई थी उसके साथ अपने भाई का ख्याल भी रखती थी ।

ये सब देख कर यम राजा ने बहेन यमुना से कहा तुझे क्या चाहिए मुझे मांग लो तब बहेन ने बल मुझे आपसे बार बार मिलना हे इस बात पर यम भाई राजी हुई उसी दिन से गंगा आज भी अमर हे इसी बात को यद् रखने केलिए रक्षया बंधन मना जाता हे ।

आपको इस आर्टिकल कैसे लगी मुझे कमेंट करके बताना यदि उनमेसे कुछ लेखा आपकी नजर में गलती आयी मुझे जरूर बताना ता की में उसे सुधर सकू।

आपको रक्षया बंधन पलने की दूसरे कोई कहानी पत्ता हे तो मुझे जरूर बताना में लेखा की माध्यम से दूसरे को जानकारी दूंगा जिसे उसको भी नया कहानी के बारे में पत्ता चले ।


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